मेरे मन में आज तक, जाने कहाँ छुपा ये उदगार था। मेरे मन में आज तक, जाने कहाँ छुपा ये उदगार था।
यह है भावना शुद्ध प्रेम की सहूंगा दर्द मैं बिछोह का। यह है भावना शुद्ध प्रेम की सहूंगा दर्द मैं बिछोह का।
मोह माया का बंधन है तुच्छ ऐ मानव जीवन है मोह माया का बंधन है तुच्छ ऐ मानव जीवन है
पर आत्मा उसकी आजाद हो गई इस बंधन से, पर आत्मा उसकी आजाद हो गई इस बंधन से,
जब अंतस भ्रमण होता हैं, तोड़ भौतिकता के बंधन, जब अंतस भ्रमण होता हैं, तोड़ भौतिकता के बंधन,
कृष्णा के शब्दों पंख से अर्जुन का मोह हुआ नदारद। कृष्णा के शब्दों पंख से अर्जुन का मोह हुआ नदारद।